History

अग्रसेन-अग्रोहा-अग्रवाल


आज से लगभग ५१३६ वर्ष पूर्व महाराजा अग्रसेन ने समाजवाद और गणतन्त्र राज्य की स्थापना की | समाज में " सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय् " की नीति को प्रोत्साहित किया | आज कल अग्रोहा अग्रवालों के लिए पाँचवा तीर्थ धाम है |

अग्रसेन


संसार में समाजवाद के प्रवर्तक महाराजा अग्रसेन अग्रवाल जाति के जनक थे | अग्रसेन काल आज से करीब ५१३६ वर्ष पूर्व महाभारत के काल के समय का माना जाता है | महाराजा अग्रसेन का जन्म प्रतापनगर के राजा धनपाल वंश की छठ्ठी पीढी में राजा वल्लभ के घर आश्विन शुकला - १ पहली नवरात्रि के दिन, विक्रम संवत ३०६९ वर्ष पूर्व हुआ इस प्रकार अग्रसेनजी का जन्म आज से ५१३६ वर्ष पूर्व माना जाता है | इनके पैदा होते ही राज्य में अपूर्व आनन्द छा गया | ब्राह्मणों ने राजपुत्र को चक्रवर्ति होने का आशिर्वाद दिया | अग्रसेनजी का लालन पालन बड़े लाड़ - चाव के वातावरण में हुआ | अग्रसेनजी को बचपन में ही वेद, शास्त्र, अस्त्र - शस्त्र, राजनीति, अर्थनीति आदि का पूर्व ज्ञान करवाया गया | महाराजा अग्रसेन का विवाह नाग वंश के राजा कुमुद की कन्या माधवी से हुआ | माधवी अग्रवालों की जननी हैं और अग्रवालों में पूजनीय हैं | नाग वंश से सम्बन्ध होने के कारण अग्रवाल लोग आज भी नागों को मामा कहते हैं और नाग पंचमी के दिन सर्पो को दूध पिलाते हैं | माधवी के रूपवती व गुणवती होने के कारण देवों का राजा इन्द्र भी माधवी से शादी करना चाहतfा था परन्तु महाराजा अग्रसेन से माधवी की शादी हो जाने के कारण इन्द्र ने अग्रसेन से बदला लेने की ठानी | राजा अग्रसेन ने शिव की पूजा करके इन्द्र को पराजित किया और अग्रसेन के राज्य में भरपूर वर्षा हुई, जिससे प्रजा के कष्ट कम हो गए |

महाराजा अग्रसेन ने माता माधवी के साथ महालक्ष्मीजी की आराधना की | देवी महालक्ष्मी महाराजा अग्रसेन से प्रसन्न होकर मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन प्रकट हुई और महाराजा अग्रसेन को वरदान दिया कि तेरा वंश, तेरे नाम से विख्यात होगा मैं तेरे वंश की कुल देवी - होऊँगी, और तेरे कुल को सब वैभव, समृद्धि, सिद्धि प्रदान करूंगी, तेरा कुल तीनों लोकों में प्रसिद्ध होगा | इतना कह कर देवी महालक्ष्मी - अन्तॅध्यान - हो गई, और अग्रसेन के राज्य में सुख समृद्धि हो गई | तभी से देवी - महालक्ष्मी अग्रवालों की कुल - देवी के रूप में पूजी जाती है |

महाराजा अग्रसेन ने अपने राज्य की राजधानी - अग्रोहा को बनाया और राज व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए राज्य को १८ जनपदों में विभक्त किया - प्रत्येक जनपद की स्थापना पर यज्ञ का आयोजन किया और यहां उपस्थित ऋषि - पुरोहित - के नाम पर जनपद का नामांकरण हुआ जो बाद में चलकर अग्रवाल समाज के गोत्र बने | कुछ लोगों का मानना है कि महाराजा अग्रसेनजी के १८ पुत्र थे उन्होने प्रत्येक जनपद की व्यवस्था का भार एक - एक पुत्र को दिया | पुत्रों के नामों से ही गोत्रों का प्रचलन हुआ |

एक ईंट एक रुपया, समाजवाद के आदि सूत्रधार महाराजा अग्रसेन ही थे | उस समय अग्रोहा में एक लाख परिवार बसते थे | जब कोई व्यक्ति किसी कारण वश निर्धन हो जाता था अथवा निर्धनता की हालत में कोई व्यक्ति बाहर से आकर अग्रोहा में बसता था तो नियम के अनुसार अग्रोहा के एक लाख परिवार, उस व्यक्ति को एक मुद्रा और एक - एक ईंट देते थे | एक लाख ईंट से वह अपना घर बना लेता था और एक लाख मुद्राओं से वह अपना व्यापार आरम्भ कर देता था | इस प्रकार वह निर्धन परिवार अन्य परिवारों की तरह सुख तथा आनन्द पूर्वक समानता के आधार पर अपना जीवन - यापन आरम्भ कर देता था | ऐसा था महाराजा अग्रसेन का समाजवाद "सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय" |

महाराजा अग्रसेन काल में अग्रोहा एक - समृद्धशाली - राज्य था जिसकी गणना राष्ट्र के शक्तिशाली - प्रदेशों में होती थी | १०८ वर्ष राज्य करने के पश्‍चात् महाराजा अग्रसेन देवी महालक्ष्मी की आज्ञा से अपने बेटे विभु को राज्य सौप कर स्वयं तपस्या करने चले गये |